8 Oct 2023
ध्यान योग से प्राप्त कर सकते हैं ईश्वरीय आनंद की अनुभूति
चुनौतियों से भरे जीवन में समस्याओं की कोई कमी नहीं। मानव को जब अपना सर्वोत्तम संभव प्रयास यानि Best Possible Effort लगाने के बाद यदि मन के अनुरूप फल नहीं मिलता तो वह आशा खोने लगता है। तब सब कुछ ईश्वर पर छोड़ देने के अलावा और दूसरा क्या उपाय उसके पास रह जाता है। यह सही भी है क्योंकि टेंशन, फ्रस्ट्रेशन, डिप्रेशन, गुस्सा, नफरत, महरूमी डर, चिंता और अन्य नेगेटिव ख्यालात से तो बेहतर है सब कुछ ईश्वर पर छोड़ देना। अपने अंदर के दोषों को देख इससे पॉजिटिव आशा बनी रहती है । पर, इसके लिए ईश्वर पर अटूट विश्वास होना चाहिए और हमारा प्रयास भी उसे पाने का होना चाहिए।
ईश्वर की निकटता पाने के लिए तो बहुत से मार्ग है और हर मार्ग का अपना आंनद ,अनुभव विधि विधान है। परन्तु एक गृहस्थ के लिए किसी भी प्रकार के त्याग द्वारा मार्ग तलाशना बेहद कठिन है , तो ऐसे लोगों के लिए अपनी सांसारिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हुए ईश्वर की कृपा प्राप्ति का मार्ग जो बताया गया है वह 'ध्यान योग' है । सहज योग माध्यम से किया जाने वाला ध्यान योग बेहद आसान है क्योंकि इसमें हम घर बैठे ध्यान करते हुए ईश्वरीय आनंद की अनुभूति कर सकते हैं।
जब हम ईश्वर प्राप्ति की शुद्ध आकांक्षा लेकर सहज योग से जुड़ते हैं तब ध्यान में प्रगति होते ही सारे अवगुण हमारा साथ छोड़ने लगते हैं जो हमारी समस्याओं के मुख्य कारण हैं। क्रोध से हमारी सोचने की शक्ति खत्म होने लगती है, अहंकार हमें घमंडी बना मानवता से दूर करने लगता है, लालच हमें गलत कृत्य के लिए प्रेरित करता है, ईर्ष्या हमें कुंठित करती है और प्रतियोगिता की भावना हमें अपने सारे सुखों से दूर कर देती है। दरअसल हमारी हर समस्या हमारे अपने कर्मों का ही परिणाम है। हम अंदर से सुखी और संतुष्ट होने का प्रयास करेंगे तो सुखी और संतुष्ट हो जायेंगे। इसके लिए पहले हमें स्वयं को जानना होगा फिर परमात्मा को। आत्मसाक्षात्कार और कुंडलिनी जागरण के उपरांत हम स्वयं को देखने और समझने लगते हैं। ईश्वर से हमारी तारतम्यता से हमें निर्भय जीवन का आशीष प्राप्त होता है। फलस्वरूप हम परमात्मा के संरक्षण में स्वयं को सुखी कर पाते हैं।
2 अक्टूबर 1998 को अपने एक प्रवचन में परम पूज्य श्री माताजी निर्मला देवी ने इस समस्या पर यह बताया कि,
'अगर आप परमात्मा में विश्वास करते हैं, जो कि एक रचयिता (विधाता) हैं, तो हमें यह भी विश्वास करना होगा कि परमात्मा ने इन समस्याओं को हल करने के लिए हमें अवश्य ही कुछ दिया होगा। अतः मुझे आपको बताना है कि हमारे परिवर्तन, हमारे क्रमिक विकास की महत्वपूर्ण खोज का समय आ चुका है। जैसा कि ईसा मसीह ने कहा है, "आप मुझे खोजें और आप पा लेंगे।" अतः इस समय जब यह सारी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, इसीलिए आप परमात्मा का मार्गदर्शन लें।
परम के सहज आशीष हेतु आप सभी आमंत्रित है सहज योग ध्यान केंद्रों में जहाँ आपको बडी़ सहजता से यह आभास होगा कि हम परमात्मा से कैसे जुड़े हुए हैं और हर समस्या का समाधान सहज ध्यान से संभव है।
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