26 Sept 2023
अनंत चतुर्दशी व्रत पूजा मुहूर्त और विधि
इस बार अनंत चतुर्दशी व्रत रवि योग में है| अनंत चतुर्दशी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है| अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं| 14 गांठ वाले अनंत धागे या रक्षा सूत्र को दाहिने हाथ में बांधते हैं| अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 12 मिनट से है|
अनंत चतुर्दशी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है. इस बार अनंत चतुर्दशी व्रत रवि योग में है, लेकिन उस दिन अग्नि पंचक के साथ भद्रा का साया है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं और 14 गांठ वाले अनंत धागे या रक्षा सूत्र को दाहिने हाथ में बांधते हैं. इससे व्यक्ति की रक्षा होती है, वह भय मुक्त होता है और विष्णु कृपा से जीवन के अंत समय में वैकुंठ की प्राप्ति होती है|
अनंत चतुर्दशी 2023 पूजा मुहूर्त
28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 12 मिनट से शाम 06 बजकर 49 मिनट तक है. इस दिन पूजा का मुहूर्त 12 घंटे 37 मिनट तक है|
अनंत चतुर्दशी व्रत और पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह में स्नान के बाद व्रत और पूजा का संकल्प करें. उसके बाद पूजा घर में एक कलश स्थापित करें. फिर शेषनाग पर शयन करते भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें. उसके बाद एक धागा या रक्षा सूत्र लें और उसमें 14 गांठ लगा दें| उसे भी पूजा स्थान पर रख दें|
इसके बाद ओम अनंताय नम: मंत्र का जाप करते हुए अक्षत्, फूल, रोली, माला, धूप, दीप, गंध आदि से भगवान विष्णु और अनंत धागे का पूजन करें. फिर अनंत धागे या अनंत रक्षा सूत्र को अपने दाएं हाथ में बांध लें. महिलाएं उस धागे को बाएं हाथ में बांधें. फिर अनंत चतुर्दशी व्रत कथा सुनें. प्रसाद ग्रहण करें. ब्राह्मण को भोजन कराकर आशीर्वाद लें. यह व्रत 14 साल तक करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है|
अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्व
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है। कुछ स्थानों पर इस दिन को अनंत चौदस नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 14 साल तक लगातार का व्रत रखने से श्री हरि का सानिध्य प्राप्त होता है और विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।
इस दिन भगवान श्री विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। अनंत चतुर्दशी का व्रत सिर्फ भगवान विष्णु को ही समर्पित है। भगवान विष्णु का ही दूसरा नाम अनंत देव है। इस व्रत को रखने से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं। जीवन में सुख-समृद्धि के नए द्वार खुलते हैं, जीवन से दरिद्रता दूर होती है और अंततोगत्वा भगवान श्री हरि के चरणों में स्थान मिलता है।
अग्नि पुराण में अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने संबंधी कई अहम जानकारियां लिखी हैं और इस व्रत के महत्व को समझाया गया है। इस व्रत को रखने वाला एक प्रसर आटे से रोटी या पुडयां बनाता है। इसका आधा ब्राह्मण को दे देता है और शेष का उपयोग अपने लिए करता है। ऐसा कहा जाता है कि जब पांडव जुए में अपना राज्य हार कर वन में नरकीय जीवन काट रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी व्रत करने के लिए प्रेरित किया था। पांडवों ने श्रीकृष्ण के सुझाव को स्वीकार करते हुए इस व्रत का पालन किया और उन्हें महाभारत के महायुद्ध में जीत हासिल हुई। एक दूसरी कथा के मुताबिक सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र को भी अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने की वजह से अपना राज्य वापस मिला था।
पंडित सतीश नागर उज्जैन
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